कोई पागल समझता है
कोई दीवाना कहता है
हमारा हाल कैसा है
ये ना कोई समझता है...
पहले कोई सताता था,
कुछ और अब आ गए
वो तो लुटता ही है
अब इनसे भी लुटता है ...
इनके नजरों में तो बस
सबसे पागल जनता है,
सपने खूब दिखाते हैं,
खूब वादे करते हैं
जब आती निभाने कि बारी
तो फिर से धरना करते हैं
जहाँ जाते हैं वो सज्जन
उनपे मुकदमा होता है...
वही पागल समझता है
वही दीवाना कहता है |||
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